मैं हूँ भारतीय 🇮🇳
ना सिख, ना हिंदू, ना मुसलमान,
है मेरी पहचान, मैं हूँ भारतीय,
भारत से ही है मेरी पहचान।
भारत वो, जिसकी माटी लहू से सीची गई,
भारत वो, जिसने विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम की नीति दी।
भारत वो, विश्व गुरु जो रह चुका,
भारत वो, जहाँ वेदों का वृक्ष लगा।
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर,
रखना हिंदी है, हम हिंदी हैं हम हिंदुस्तान हमारा।
से लेकर , मज़हब ने ही है सिखाया आपस में बैर रखना,
मज़हबी हैं हम, मज़हबी हैं हम,
हमारे लिए सबसे पहले है मज़हब हमारा।
तक का दर्दनाक सफर तय कर चुका,
बहुत खेद से कहना पड़ता है अब, वो है मेरा भारत।
आजकल हाथ भरे हैं खून से जिनके,
वो शांति-अमन की बातें करते हैं।
मेरे देश में अक्सर अपराधी इंसाफ की मांग करते हैं।
कुछ लोग हैं मेरे देश में,
मेरे ही देश के वो सच्चे नागरिक कहलाते हैं।
सड़कों, गलियों, चौबारों में
इंसानियत के लिए लड़ते-लड़ते,
इंसानियत से ही लड़ जाते हैं।
रफ़ा के वक्त इंसाफ मांगकर वो इंसानियत दिखाते हैं,
मगर जब रियासी की बात आए, वो मौन हो जाते हैं।
मेरे देश में कुछ लोग हैं,
मेरे देश के वो सच्चे नागरिक कहलाते हैं।
सड़कों, गलियों, चौबारों पर,
“अल्लाहु अकबर” और “राम राम” चिल्लाते हैं।
उनके “अल्लाहु अकबर”
में अल्लाह का नाम-ओ-निशान नहीं,
उनके “राम राम” जापने में अब पहले सा आराम नहीं।
मेरे देश में कुछ लोग हैं,
जो मेरे देश के सच्चे नागरिक कहलाते हैं।
सड़कों, गलियों, चौबारों पर
इंसानियत की जगह हैवानियत फैलाते हैं।
अपने पड़ोसी, अपने मित्र, अपने परिवार से पहले,
वो अपने ज़मीर का क़त्ल करके आते हैं।
और इस सब में कमाल की बात ये है कि
हाथ भरे हैं खून से जिनके,
उनका इस में कुछ नहीं जाता।
मेरे देश में अक्सर अपराधियों को निर्दोष ठहराया जाता है।
और यकीनन एक दिन ऐसा आएगा,
ये जो तिरंगा लहरा रहा है शान-ओ-शौकत से,
इस नीली गगन में ये नहीं लहराएगा,
तुम्हारी तुच्छ हरकतों के कारण,
इसका भी सिर झुक जाएगा।
और जो बचाना है तुम्हें देश को अपने,
तो सोच, कलम, आवाज़ अपनी तुम्हें उठानी होगी।
कोई धर्म अपनाने से पहले
इंसानियत तुम सबको अपनानी होगी ।
कुछ पंक्तियाँ अब मैं उनके लिए कहना चाहूंगी,
जो मेरे देश को मिटाने के दिन-रात ख्वाब बुनते हैं।
लहू लहू है धरती इस देश की,
कुरुक्षेत्र सा युद्ध देखा है।
यहाँ के कोने-कोने ने
आज भी हर घर से एक सपूत खड़ा है,
अपनी साँसें इस देश को देने में।
और तुम कहते हो इस भारत का अस्तित्व तुम मिटाओगे,
चीन अबरू हमारे देश की,
हम ही पर हुकूमत चलाओगे।
मज़ाक अच्छा कर लेते हो,
हंसी-रतन हर दफ़ा तुम ही ले जाओगे।
यहाँ बहती हर धारा देवी समान है,
यहाँ के कंकड़-कंकड़ में महाकाल का नाम है।
ये धरती पूजनीय है,
यहाँ के कण-कण में बस्ती हर भारतीय की जान है।
❤️ सखी