ना वो इकरार करती हैं…………
क्या पता वो किस्से प्यार करती है
रोज सताती है इस कदर
के मोहब्बत ए बेशुमार करती है
फिर भी पता नहीं वो
ना वो इनकार करती है
ना वो इकरार करती है
चाहत ही बहुत कमिनी है उसकी
रातों को परेशान करती है
नीद को हराम करती है
फिर भी पता नहीं वो
ना वो इनकार करती है
ना वो इकरार करती है
अपने प्यार को दिल में रख
बदनाम सरे आम करती है
रोज बाते तो खुलेआम करती है
फिर भी पता नहीं वो
ना वो इनकार करती है
ना वो इकरार करती है