ना रूठ तू जिंदगी इस तरह …
ए जिंदगी तू रूठा ना कर इस तरह ,
तेरे रूठने से दिल बेजार हो जाता है ।
तमन्नाओं के फूल मुरझा जाते है ,
आर्जुयों औ ख्वाइशों का सागर सूख जाता है ।
पैमाने में बचती है केवल राख ,
इन चश्म चिरागों का नूर बुझ जाता है ।
ए जिंदगी तू क्यों रूठ जाती है बार बार ,
तेरे रूठने से कज़ा का होंसला बढ़ जाता है।
अभी तुझसे रुखसत लेने का वक्त नहीं आया ,
अभी से तेरा मिजाज क्यों बदला जाता है ?
चल ! बैठ मेरे पास कुछ बात दिल की करें ,
तूझसे मिलकर जो सुनहरे सपने संजोए जाता है ।
देख ! तू।मुझसे नाराज़ हो जा मगर इससे न होना ,
नाजुक है बेचारा ,! तेरी बेरुखी से टुकड़े हुए जाता है।