ना यूँ ही ज़िन्दगी की ज़रूरत बनाना।
हर किसी को ना यूँ ही ज़िन्दगी की ज़रूरत बनाना।
अस्मत लूट लेते है यहाँ पर लोग बना कर अपना दीवाना।।1।।
माना शराब करती है बदनाम पर कहाँ है ऐसा सुरूर।
अब ना छूटेगा हम से तो यूँ मयखाने में जाके पीना पिलाना।।2।।
क्यों देखते है लोग हिकारत भरी नज़र आशिकों को।
जब से किया है इश्क़ दुश्मन बन गया है सारा ज़माना।।3।।
डरते थे इश्क़ करनें से कहीं छिन ना जाए दिले सुकूँ।
पर तुमने भी की क्या खूब झूठी दिल्लगी बनाके फ़साना।।4।।
शायद मेरे दिल ने ही कुछ कर दी अन्जाने में खता।
जो बंद किया है तुमने आजकल हमसे मिलना मिलाना।।5।।
चलो आयी तो मुस्कान लबों पर तुम्हारे अरसे बाद।
शायद काम आ ही गया तेरे मेरा तुमसे दिल का लगाना।।6।।
ग़ैर ही समझ कर आना ज़रूर तुम मय्यत पर मेरी।
यूँ तो ज़नाज़े में देखा नहीं जाता कौन अपना है या बेगाना।।7।।
आज से बेखबर हो जाएंगे हम तुम्हारे इस शहर से।
कभी आये हमारी याद तो दिल को अपने हंस के टालना।।8।।
यह शहर है मशहूर इश्क़,मोहब्बत के क़ातिलों का।
दाद देता हूं मैं तेरी जो बनाया फिर भी यहाँ इश्के फ़साना।।9।।
शहर है काफ़िरों का यहाँ है ना नमाज़े मस्ज़िदों में।
होड़ है लगी देखो पीने की कही बंद ना हो जाये मयखाना।।0।।
कुछ ख्वाहिशें है दिल की जिन्हें चाहता है जीना।
अब बंद कर दूंगा हर रोज का बनाकर जीने का बहाना।।11।।
देखो कितना खुश है ज़िन्दगी का पाकर खिलौना।
यही औलाद ना देती है बाद में माँ बाप को घर में ठीकाना।।12।।
ये दिल है मुश्किल में हद कैसे करें तय चाहने की।
चलो मांगते है खुदा से शायद हो पास उनके कोई पैमाना।।13।।
देखो कर रहे है झूठी मोहब्बत हमको जलाने की।
हँसी आती है महबूब पर दिखावा हो गया है यह पुराना।।14।।
सुना है इश्क़ में अच्छा आदमी हो जाता है निकम्मा।
गर चाहते हो जानना तो तुमको भी पड़ेगा दिल लगाना।।15।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ