मांगा न था
जयादा हमने भी कुछ चाहा न था
खुदा ने दिया वो जो मांगा न था
दुनिया को देखकर सब्र कर लिया
बहुतो को इतना भी मिला न था
वो शोक अब कहा पुरे होते है मेरे
पहले बाप के पैसे को समझा न था
हो गई भूल नादानी मे हमसे ये
मुहब्बत का कोई इरादा न था
मुहब्बत करके हुआ ये एहसास हमे
बिना इश्क जीना भी जीना न था
मोहन बाम्णिया