ना अधूरा एक भी श्वास रहे
ना अधूरा एक भी श्वास रहे
मुझमें अब यही विश्वास रहे
दुख रहे चाहें जितने भी मगर
हमेशा सुख का अहसास रहे
जीवन यूं ही हंसता रहे और
गम का न कहीं भी वास रहे
बैर-लाग-औ-क्रोध आदि
कभी भी ना मेरे पास रहे
सुबह ताजी,दोपहर की सुस्ती
शाम के,ठण्डक की मिठास रहे
अन्धेर ना हो कभी राहों पर
उम्र भर की यही कयास रहे
छूटे’मनी’तो जमाना,पर खुदा नहीं
एक बात यही खासम-खास रहे
शिवम राव मणि