नाज़ है ..तुझ पर ‘अ जिंदगानी’
शीर्षक:-
#नाज़ है तुझ पर ‘अ जिंदगानी’
नाराज न हो ‘अ जिंदगानी.
तुझ पर ही तो #नाज़ है .
चमन में खिले कंटक पुष्प.
हररोज इक नई कहानी है.
होगा घटाटोप अंधकार घनेरे.
तुझ बिन कौन उजाले है.
#नाज़ है तुझ पर ..सजीव के जुबानी है !
रूठी जो एक अकेले.. खत्म सब कहानी है
तू ही सुध..तू ही बुध !
तू ही आदि.. तू अनंत !
दाता है ..विधाता है..परिचायक है !
अ जिंदगी ..हर महेन्द्र को #नाज़ है तुझ पर
~डॉ_महेन्द्र