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17 Jul 2023 · 1 min read

नाही काहो का शोक

वर्तमान समय में लोगों को,
एक नजर है आता
जिनके पास है, धन दौलत ,,
वो ही इज्जत है पाता

पैसा पितु पैसा हितु, पैसा है
,साक्षात लक्ष्मी माता
सज्जन नर भी,बिन पैसा,
गदहा नजर है आता

गद्दार बेईमान भ्रष्टाचारी
, है सम्मान जग में पाता
पुष्पहार से स्वागत होता,
खुब बजते हैं बेंड बाजा

आते हैं भीड़ बड़ा मजहब,
नाच गान भी करते हैं
अरबों खरबों के भ्रष्टाचारियों को,
कहने से क्यों डरते।

संस्कार संस्कृति सभ्यता का
जिसने किया विनाश
विनाशकारी विध्वंसक का,
यदि,,करते सत्यानाश

आपा अपना खो गया,जब
पैसा दिखा उनके पास
सत्य राही को मारकर, लोग
बन जाते हैं उनके दास

कवि विजय तो गरीब है,
न काहु किसी का परवाह
लोगन तो कुछ भी कहे
,पर चल पड़ा है निज राह

सत्य बात के बात पर,
दुश्मन बन जाते हैं लोग
जीवन तो अब श्मशान पर ,
नाही काहु बात का शोक

डां विजय कुमार कन्नौजे
अमोदी आरंग
ज़िला रायपुर छ ग

Language: Hindi
2 Likes · 249 Views
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