नास्तिक
मेरे भीतर भी
पनपने लगा है बीज
निराशिता का
और रहने लगा है मन
निरन्तर मेरा निराश
डरता हूँ कि
मैं नास्तिक ना हो जाऊँ
क्यों कि
निराशिता ही जनक है
नास्तिकता की ।।
****
सरफ़राज़ अहमद “आसी”
मेरे भीतर भी
पनपने लगा है बीज
निराशिता का
और रहने लगा है मन
निरन्तर मेरा निराश
डरता हूँ कि
मैं नास्तिक ना हो जाऊँ
क्यों कि
निराशिता ही जनक है
नास्तिकता की ।।
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सरफ़राज़ अहमद “आसी”