Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 1 min read

नाव मेरी

डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
# बाल गीत #
शीर्षक —-@ नाव मेरी @

रंगों की शब्दों की
रंगावली , शब्दावली
नाव मेरी भैय्या पानी में चली
त से ताली म से माली स से साली
बन जाती है
ग से गाली न से नाली ड से डाली
बन जाती है
कविता तो चीज़ है ऐसी
मुखरित मन कर जाती है
डब्बों से खाली डब्बों से ,
रेल बनाई देखो
बच्चों ने फिर वो खूब चलाई
रे देखो
जिसमें ड्राइवर लाला लालू
रे देखो
दुनिया सबको खूब दिखाई
रे देखो
ऐसी ऐसी कितनी यादें
मन को भरमाती हैं
रंगों की शब्दों की
रंगावली , शब्दावली
नाव मेरी भैय्या पानी में चली
कालू आया शालू आई
सँग सँग अपने मठ्ठी लाई
देखो ढफ़री की ताल पे सबको नचाती
गीत प्रेम से हिल मिल गाती
ता था थैया राग सुनाती
ढोलक पे वाह ढोलक पे बाँसुरी बजाई
वाह वाह ढोलक पे
बँनसुरी बजाई रे देखो
रंगों की शब्दों की
रंगावली , शब्दावली
नाव मेरी भैय्या पानी में चली

214 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
Loading...