नारी_
हम मधुर मृदुल हैं सृजन ब्रम्ह की,
हमें भयानक आहटों से मत भरो|
हम मुस्कराहट की दैवीय
उपहार हैं ब्रम्ह की,
हमारे स्वप्निल स्नेहिल मन को कडवाहटों
से मत भरो|
डा पूनम श्रीवास्तव (वाणी)
हम मधुर मृदुल हैं सृजन ब्रम्ह की,
हमें भयानक आहटों से मत भरो|
हम मुस्कराहट की दैवीय
उपहार हैं ब्रम्ह की,
हमारे स्वप्निल स्नेहिल मन को कडवाहटों
से मत भरो|
डा पूनम श्रीवास्तव (वाणी)