नारी
अंतरराष्ट्रीय महिला-दिवस पर प्रस्तुत है एक गीतिका
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?आधार छन्द- मंगलमाया- (मापनीमुक्त मात्रिक छन्द)
विधान- मात्रा-22 / 11-11मात्राओं पर यति,
(यति के पहले गुरु+लघु वर्ण, यति के बाद लघु+गुरु वर्ण)
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शीर्षक- नारी
आकर घर-परिवार, बसाती है नारी।
बच्चों में संस्कार, जगाती है नारी।। 1
धरती माँ की भाँति, सहन कर लेती सब,
‘हर पल कर उपकार’, सिखाती है नारी।। 2
अपने मद में चूर, घमण्डी के सिर को-
नयनों से कर वार, झुकाती है नारी।। 3
लेती मन को मोह, लुभा लेती पति को,
जब सोलह शृङ्गार, सजाती है नारी।। 4
करे क्रोध को शान्त, विनय-अनुनय करके-
आपस की तक़रार, बचाती है नारी।। 5
करती मृदु व्यवहार, खुशी देती सबको,
खुद पर अत्याचार, छुपाती है नारी।। 6
करके वाद-विवाद, महान बली यम को-
बिन बर्छी-तलवार, हराती है नारी।। 7
ईश-अंश को सहज, उदर में धारण कर,
निराकार साकार, बनाती है नारी।। 8
बन ममता की मूर्ति, सदा हर प्राणी को-
अपना ‘निश्छल’ प्यार, लुटाती है नारी।। 9
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-श्रीकान्त निश्छल,