नारी सृष्टि कारिणी
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नारी करती प्राण उन्मन,नारी सृष्टि कारिणी।
नियति का ये सत्य नियमन,नारी है नारायणी।।
हर रूप पूजनीय तेरा,तू अनेक रूपधारिणी।
युगों से तेरी प्रमुखता,तू आदिशक्तिरूपिणी।।
इस जहाँ से तू ना डर,तू है भयहारिणी।
घुट-घुट कर यूँ ना मर,तू है शत्रु नाशिनी।।
बढे़ जब भी अत्याचार,तू है दुर्गा,काली।
मौत भी गया हार,तू है सत्यवती सावित्री।
तुझ में शक्ति अपार,तू सर्वशक्तिशालिनी।
कर दुष्टों का संहार,तू प्रचंडरूपधारीणी।।
????-लक्ष्मी सिंह?☺