नारी
कोमल हूँ निर्मल हूँ सौ रंग रूप धारी हूँ मैं,
ना बेबस ना कमजोर हूँ ना सोच की बिचारी हूँ मैं,
हूँ प्रचंड काली सी जगदम्बा सी संहारी हूँ मैं,
आदि हूँ अनन्त हूँ सौ दानवों पर भारी हूँ मैं, नारी हूँ मैं,
शांति का एक शब्द हूँ मैं प्रलय का वो हुंकार हूँ मैं,
मुझे लेकर ही है ये सारा संसार मैं ही ये संसार हूँ,
हूँ माँ की मर्यादा तो पिता की जिम्मेदारी हूँ मैं,
माँ, बेटी, बहन, बहु कई रिश्तों की अधिकारी मैं,
नारी हूँ मैं।