नारी
हृदय ममता से आप्लावित
स्नेह में सृष्टि मुझसे हारी।
नेह लुटाती प्यार बहाती
जीव पर मेरी दया बलिहारी।
सृष्टि टिकी है जिसके बल पर
मैं वह परमात्मा की कृति प्यारी
मानव क्या हर जीव पर करुणा
तभी तो कहलाती हूँ नारी।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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