नारी
ऐ नारी तेरी कैसी परीक्षा
तुझसे सबकी अपनी इक्षा
सीखे तेरे कोख में जो पल
देते वह भी तुझको शिक्षा
ऐ नारी तेरी कैसी परीक्षा…
छोड़ कर चिंता तोड़े दुबिधा
प्रयत्न सदा दें सबको सुविधा
फिर भी याचक तू मांगे भिक्षा
रहती अनदेखी सबसे निरीक्षा
ऐ नारी तेरी कैसी परीक्षा…
जो है रक्षक वही बने है भक्षक
सदा यत्न करे डसने को तक्षक
कटे कैसे संकट इसकी प्रतिक्षा
नही कोई कर पाया ये समीक्षा
ऐ नारी तेरी कैसी परीक्षा…
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २५/११/२०१९ )