नारी
जीवन भर वो जिम्मेदारियां निभाती रही,
कभी बेटी तो कभी माँ कहलाती रही,
न डरती थी वो न थकती थी वो,
एक अग्नि सी जलती थी वो,
हौसलों से सदा खुद को तपाती रही,
कभी बेटी तो कभी माँ वो कहलाती रही ।
।। आकाशवाणी ।।
जीवन भर वो जिम्मेदारियां निभाती रही,
कभी बेटी तो कभी माँ कहलाती रही,
न डरती थी वो न थकती थी वो,
एक अग्नि सी जलती थी वो,
हौसलों से सदा खुद को तपाती रही,
कभी बेटी तो कभी माँ वो कहलाती रही ।
।। आकाशवाणी ।।