नारी
मैं विवश नही अब ,
मैं आदिशक्ति की ज्वाला हूँ ।
मैं हूँ अमृत ,
मैं ही विष का प्याला हूँ ।
मैं ही सृजनकर्ता ,
मैं संघराक हूँ ।
मैं देवों की जननी ,
संपूर्ण सृष्टि की पालक हूँ ।
पहचान मुझे मैं नारी हूँ ,
मैं पत्नी ,बहन , तेरी महतारी हूँ ।
निहारिका सिंह