नारी
जननी जन्मदायनी ,
नारी तू नारायणी।
हर रूप पूजनीय ,
तेरा स्थान सर्वोपरी।।
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मिली नहीं बराबरी ,
पुरुष प्रधान संस्कृति।
उपेक्षित सदा रही ,
विडंबना ये सबसे बड़ी।।
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हर युग मैं सदैव ,
तेरी प्रमुखता रही।
जीवन के हर क्षेत्र में ,
सदैव आगे बढ़ी।।
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हर कायरों पर भारी,
समझो फूल नहीं चिंगारी।
देवी शक्ति रूपा माँ काली।
ऐसी है भारत की नारी।।
– लक्ष्मी सिंह ??☺