नारी
काल खण्ड का शिकार है नारी
पुरुष बना जब जबरन अधिकारी
स्वयं सजाया समाज पुरुष प्रधान
निर्णय दे दिया निम्नतम है नारी
सौष्ठव का दंभ पुरुष पर भारी
अन्धा बना फिर अत्याचारी
इतने से भी न हृदय भरा तो
लाभ उठाया उसकी लाचारी
बचपन से सिखाया पुरुष श्रेष्ठ हूँ
स्त्री अधिकारी मैं ही सर्वश्रेष्ठ हूँ
पंक्ति अनुशासन या परिवार हो
प्रत्येक स्थान पर मैं ही उत्कृष्ट हूँ
मस्तिष्क को दिया ऐसा प्रशिक्षण
पुत्र श्रेष्ठ चाहे जैसे भी हों लक्षण
और अंगरक्षक की बात निराली
हर स्थान पर उसका आरक्षण