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17 Mar 2022 · 1 min read

नारी हूँ मैं

बेसहारा न अबला बिचारी हूँ मैं
युग युगों से सबल एक नारी हूँ मैं।।

मेनका उर्वशी भी न हूँ मोहनी।
क्यों कहें लोग सबसे ही प्यारी हूँ मैं।।

त्याग करुणा औ ममता की मूरत मगर।
वक़्त पर रूप चंडी भी धारी हूँ मैं।।

नर्मदा गीता गंगा मैं ही सरस्वती।
पापियों को सदा से ही तारी हूँ मैं।।

प्रेम में सब निछावर किया है सदा।
जंग कोई कभी भी न हारी हूँ मैं।।

यूँ सुकोमल समझने की मत भूल कर।
फूल सा है जिगर जग पे भारी हूँ मैं।।

कितने रिश्ते रिवाजों के बंधन बँधे।
पर तुम्हारी तुम्हारी तुम्हारी हूँ मैं।।

ज्योति रोती सिसकती नही आजकल ।
ये अलग बात है गम की मारी हूँ मैं।।

श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

4 Comments · 267 Views
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