नारी शक्ति
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक ? अरुण अतृप्त
बहती रही नदी सी
वो चुपचाप
झेलती झंझावात
प्रश्न थे अनगिनत
कर दिये तिरोहित शांत
और करती भी क्या
कमी थी अपनी
कभी लड़ी नही
अपने ही परिवार की
आपत्तिजनक व्यवस्था
को लेकर
माँ बाप भाई या
अन्य सोच के खिलाफ
लड़ती तो शायद
जीत सकती थी
उन सभी नारी शक्ति के समान
उच्च शिक्षा , सम्मान जनक पद,
सर्वोच्च विजेताओं सी
होती घोषित
या देश हित के लिए
लड़ती अन्य वीरांगनाओं सी
होती शहीद
नभ थल जल की
सीमाओं पर
मातृभूमि की रक्षार्थ
कोई कोई ही होती है
विरली जो कर पाती है
असम्भव को सम्भव
ये नारी है
हर किसी को कहाँ मिलते हैं
ऐसे अवसर ऐसी दिशायें
ऐसी हिम्मत ऐसी शक्ति
कहने को क्या है
है तो सब की सब
नारी , जी हाँ
नारी शक्ति ।।