नारी शक्ति तू महान
ग़ज़ल-
रूप रँग.में__मन बसी हैं नारियाँ ।
चाँद तक भी जा चुकीं हैं नारियाँ ।
चाँद से ऊँचा जहाँ ये पा चुकी
आस्माँ तक बढ़ चुकी हैं नारियाँ।
सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती रहीं
बिन डरे बढ़ती रही हैं नारियाँ।
मूर्ख हो जो मानते अबला हमें
शक्ति का पर्याय हीं हैं नारियाँ।
दोनों ही’ परिवार को संभालती
अब तुम्हारी ज़िन्दगी हैं नारियाँ।
देख कर हैरान हो क्यों आज तुम
हार को भी जीतती है नारियाँ।
चलिए ये सच आपने माना लिया
आग से भी तेजस्वी हैं नारियाँ
कर अँधेरे दूर हमसे साथियों
रौशनी को ___बांटती है नारियाँ।
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हेम