नारी शक्ति की चेतावनी
मैं धरती की पुत्री हूं, अबला और असहाय नहीं
मां शक्ति की बेटी हूं, निर्बल और निस्सहाय नहीं
धरती पर जीवन हूं, सब मेरी कोख से जनते हैं
जलचर थलचर नभचर, मेरे आंचल में पलते हैं
मैं माटी की देह नहीं, मैं सर्वेश्वर की शक्ति हूं
जन्म और पालन करती, संहारक रूप भी रखती हूं
वात्सल्य प्रेम और करुणा, आंचल में मेरे बसते हैं
उत्साह उमंग और जीबटता, मेरे रग रग में बसते हैं
सौंदर्य समाया अंग अंग में, सबको मोहित करती हूं
प्रकृति पुरुष के संग संग, सृष्टि नई रचती हूं
क्षमता पीड़ा सहने की, मैंने ईश्वर से पाई है
अपनी क्षमताओं से मैंने, मानवता महकाई है
मां बहन बेटी हूं मैं, भार्या बन गृहस्ती चलाई है
सदियां गुजर गई ऐसे ही, महिमा जान न पाई है
कब मुझको तुम पहचानोगे, कब शोषण बंद करोगे
कब मेरे बंधन खोलोगे, अथवा यूं ही चलोगे
समझ जाओ तुम वक्त के रहते, धैर्य न मेरा खो जाए
रणचंडी न बन जाऊं मैं, संसार नष्ट न हो जाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी