नारी वंदना
नारी के सब रूप को, वंदन बारंबार
जो करती सत्कर्म से, दोनों कुल उजियार
दोनों कुल उजियार, सती श्री वीणापाणी
ममता करुणा मूर्ति, जगत की है कल्याणी
कह पाठक कविराय, आरती करे तुम्हारी
हरण करो अग्यान, बचाओ जग को नारी
नारी के सब रूप को, वंदन बारंबार
जो करती सत्कर्म से, दोनों कुल उजियार
दोनों कुल उजियार, सती श्री वीणापाणी
ममता करुणा मूर्ति, जगत की है कल्याणी
कह पाठक कविराय, आरती करे तुम्हारी
हरण करो अग्यान, बचाओ जग को नारी