नारी रखे है पालना l
नारी रखे है पालना l
जगत को जो है पालना ll
कितने ही साँचे रखती l
स्वयं को जो है ढालना ll
प्यास को कैसे पसारे l
सदा सययम का सामना ll
लैला, हीर, शिरी, सोनी l
प्रीत का, सुंदर तराना ll
हवसी साथ साथ जीना l
झेले काम की कामना ll
खुद प्यास मिटाते मिटना l
हर जग प्यास है मिटाना ll
अरविन्द व्यास “प्यास”