नारी मुक्ति
मुझे आज भी डर लगता है मां!
आकर आंचल में छिपा लो ना!!
जो चुभती रहती हैं तन-मन में
उन भूखी नज़रों से बचा लो ना!!
क्या औरत है कोई भेड़-बकरी
कि वह हमेशा बाड़े में क़ैद रहे!
क्या उसे आज़ादी का हक़ नहीं
तुम केवल इतना समझा दो ना!!
Shekhar Chandra Mitra
#freedomofspeech
#स्त्रीविमर्श