नारी : मातृभूमि
सुकुमार कुमुदिनी , लिए कृपाण ,
नयनों में लिए बदले के बाण ।
पति संग देशसम्मान बचाने को ,
कर दिए मातृभूमि पर निछावर प्राण ।।
हाँ मैं नारी हूँ ,
कठिनाईयों से न हारी हूँ ।
जब जब बन आयी सम्मान पर ,
गर्जन कर दुश्मन पर भारी हूँ ।।
निहारिका सिंह