नारी बिन नर अधूरा✍️
नारी बिन नर अधूरा
मानते जग सारा ✍️
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नारी बिन नर अधूरा
दोनों बिन जग अधूरा
चालक एक जग सहारा
जग कर्ता एक जग भर्ता
नारी में नर का है प्राण
नर में नारी का ही सांस
दोनों जग का अभिमान
दोनों में दोनों एक नाम
आदम हव्वा है नर नारी
सृष्टि संस्कार ज्ञान दे सारी
कुदरत प्रकृति का फिदरत
प्रकृति दिव्य आराध्य नारी
नर नारायणी संगम नारी
अर्द्धनागेश्वर ही अर्द्धनारी
एकल आत्मा द्वितन वासी
शांति शौर्य शक्ति भण्डारी
करुणा दया सर्मण भारी
मधु मिठास अमृत वाणी
पालक जग पातक नाशक
ज्ञान कल्याण गीता सार
वक्त की चाल नारी का मन
फिसल लुढ़क बढ़ता जाता
प्रेम कारवां में चलता जाता
खुशी से बेहतर जिंदगी होती
नर नारी जब निज जीवन में
औरों खुशी की वजह बनती
झूम नाच मधु मिठास बांटती
तब जिंदगी इनकी बेहतर से
बेहतरीन प्रेरणामयी हो जाती
माधुर्य सुधा नयनों की सुवर्ण
मुख जीभ बल भुज बढ़ जाती
नर नारायणी रूप निखरती
कायरता दुर्बल प्रेम हटाती
बलशाली नर पिशाच प्रेमी
वासना तांडव भस्म करती
जीवन आधिकार दिलाती
दुःख में नारी नव सुख नारी
संघर्ष टूटे पतझड़ नर तन में
नारी सानिध्य हरयाली डाली
चंचल मन श्रृंगारिक नर नारी
पल रुधिर मलीन लाली नयनी
आंख आग विक्राली महाकाली
क्षण शीतल वर्फ की फुहारी
नभ अधर ओठ चंद्र चमक से
नारी रूप निखरती जग सारी
नर नारी प्रेम प्रकृति की डाली
नर नारायणी रूप जग निराली
नर बिन नारयणी खाली नारी
बिन नर सूखी प्रकृति की पाती
एकल आत्मा द्वितन अविनाशी
सकल जहान की प्यारी नर नारी
सदा सम्मानीय जग औरत सारी
देश अभिमान शान है नर नारी ।
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तारकेश्वर प्रसाद तरूण