नारी पुरुष
शीर्षक – नारी पुरुष
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सच तो नारी पुरुष एक दूसरे के सहयोगी हैं।
न जीवन में सच न झूठ फरेब बस हम जिद रखते हैं।
सोचें हम सभी की अपनी सोच और समझ रहतीं हैं।
हम तुम एक दूसरे को दोस्त समझकर जीतेहैं।
न तुम अजनबी न हम प्रेमी प्रेमिका बस विचारहैं।
चलो एक दूसरे से हम खुलकर हंसते रहते हैं।
आओ हम दोनों अपनी ज़िंदगी जीते हैं।
सच न हम छुपाए बस दिल मन भावों को कहते हैं।
एक दूसरे के मन भावों को शब्दों में कहते हैं।
न तुम नारी न में पुरुष बस चाहत एक दोस्त बनते हैं।
आज के साथ हम जीवन की सोच हम रखते हैं।
आओ हमसफ़र बनकर एक दूसरे की राह हम-तुम बनते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र