*नारी पर गलत नजर डाली, तो फिर रावण का नाश हुआ (राधेश्यामी छं
नारी पर गलत नजर डाली, तो फिर रावण का नाश हुआ (राधेश्यामी छंद )
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नारी पर गलत नजर डाली, तो फिर रावण का नाश हुआ
छोटा जटायु भी खड़ा हुआ, विस्तृत मानो आकाश हुआ
कलयुग में कौन बचाएगा, दुष्कर्मी को अब मरने से
सोचो छूटा है कौन आज, ऑंसू को अर्पण करने से
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451