नारी नर
नारी नर से कम नहीं, नारी शक्ति महान।
नारी निन्दा छोड़ दो, नारी से भगवान ।। १
नारी ने नर को जना,करती जीवन दान।
नारी से ही नर बना,है नर का उत्थान।। २
नारी नर की मान है, नारी नर की शान।
वेद पुराणों ने किया, नारी का गुणगान। ३
नारी से घर घर बने, बिन नारी सुनसान।
जिस घर में नारी नहीं, वो घर है शमशान। ४
भूले से भी मत करो, नारी का अपमान।
जीवन में सुख शांति है, इससे ही नादान।। ५
स्वयं करे जो गलतियाँ, नारी को दे दोष।
ऐसे नर के सोच पर, होता है अफसोस।। ६
नर नारी दोनों करें, आपस में सहयोग।
जिससे सदियों का हटे, भेद-भाव का रोग।। ७
शक्ति रूप नारी धरें, नर में हो श्री राम।
मिलजुल दुष्टों से लड़े, स्वर्ग बने यह धाम।। ८
नर-नारी दोनों बने, इस जग के आधार।
फिर क्यों समझे एक को, ये दुनिया बेकार।। ९
प्रथम प्रहर नित भोर से, करती रहती काम।
जीवन में खुशियाँ भरे, नारी जिसका नाम।। १०
नर रचता कानून को, नारी रचती आचार।
जग को गढ़ता पुरुष है, प्रकृति से श्रृंगार।। ११
नर-नारी दोनों बढ़े, इक दूजे को थाम।
आपस में सहयोग से, करना सारा काम।। १२
नर-नारी दोनों करें, इक दूजे का सम्मान।
कोई भी छोटा नहीं, दोनो एक समान।। १३
लक्ष्मी सिंह ? ☺