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4 Sep 2019 · 1 min read

नारी तेरे रूप अनेक

है माँ
तुम्हें नमन
हो तुम
जगत जननी
जग पालनी
संकट हरण

बन जातीं
तुम दुर्गा काली
करतीं दुष्टों का
संहार

मिलेगी नहीं
गोद
मिलेगा नहीं
आँचल
बिना माँ के

हैं तेरे
रूप अनेक
माँ बेटी
बहन पत्नी का
है हर रूप
मनोहर
श्रृद्धा और
विश्वास का
पुनः पुनः
है नमन
नारी तुम्हें

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
201 Views
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