नारी तेरी कहानी
विषय _ नारी तेरी कहानी
बहुत गहरे समंदर जैसा नारी का अस्तित्व और नारी अपने आप में शामिल हर दिन की नई कहानी है
कोई समझेगा नारी के किरदार को यही सोचकर आ जाता आंखों में पानी है
बहुत सस्ती लोकप्रियता है नारी की, बस उसको बातों के तराजू में तोल दिया जाता है
ना जाने क्यों हर छोटी बड़ी बात पर उसका मोल किया जाता है
नहीं समझी जाती व्यथा उसके मन की, बस भेदभाव का शिकार वो होती है
नारी ही दुश्मन बन बैठी है नारी की , हर दिन सबके तानों में वो ख़ुद को खोती है
बेटी से बहु तक का सफ़र आसान कहां होता है
सबके चेहरे पर मुस्कान लाने का ज़िम्मा जैसे बस बहु का होता है
वो अगर बाहर निकलती है तो उसके लिए अपशब्द बोले जाते हैं
घर परिवार संभाले तो रोज़ नए खेल खेले जाते हैं
उसके बाद आने वाले को लाड़ प्यार दिया जाता है
फिर ना जाने क्यों नफ़रत सिर्फ़ एक से किया जाता है
बहुत सी सुनी है कहानियां और सुने है बहुत से किस्से
अधिकतर आती है जिम्मेदारियां बड़ी बहू के हिस्से
वो निभाती भी है लेकिन कभी कभी तो वो भी थक जाती है
क्योंकी हर पल उसको बस कमियां ही गिनाई जाती है
वो बदलती नहीं बल्कि उसको बदलने पर मजबूर करते है
एक के प्रति अच्छा व्यवहार और एक से नफ़रत करते हैं
किसी की आंखों में नहीं देखा उसने अपने लिए अपनापन, दोगले चेहरों के कारण टूट जाता है उसका मन
इस क़दर कैद होती है वो जिम्मेदारियों में कि वो किसी को छोड़ भी तो नहीं सकती
बढ़ाना चाहती है क़दम लेकिन चाहकर भी आगे बढ नहीं सकती
नारी तेरी कहानी के बारे में क्या क्या बतलाऊँ मैं
कौन है यहां सच्चा और किसको आईना दिखलाऊं मैं
ना कोई समझ सकता है ना ही किसी को समझाना है
नारी तुझे अपने लिए ख़ुद को अब आजमाना है
छोड़ दे उम्मीद कि कोई खुश हो सकता है
यहां वो लोग रहते हैं जो अपने स्वार्थ के चलते रिश्ता तोड़ सकता है
इसलिए अगर बन सकती है तो बेमिसाल कहानी बन
गम का नहीं खुशियों का पानी बन
जो हंसती हुई आंखों में याद बन जाए
ऐसी खुशहाल प्रेम की निशानी बन।
ए नारी अब तो अपनी कहानी बन
अब तू अपनी कहानी बन।
रेखा खिंची ✍️✍️