नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक –आर के रस्तोगी
(कृपया बताये इस कविता में मैंने कितनी नारियोके नाम लिखे है )
नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक
तू विद्या की दायनी सरस्वती कहलाती
तू धन की दायनी लक्ष्मी भी कहलाती
इसको मांगने के लिए आते भक्त अनेक
नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक
जब तू सुबह सुबह आती उषा कहलाती
जब तू शाम को जाती संध्या है बन जाती
कैसे तू दोनों टाइम बन जाती है एक
नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक
जब दिन रात का मिलन हो तू संध्या बन जाती
संध्या के बाद तू एक दम निशा भी बन जाती
इस रात्रि में निंद्रा लेकर तू स्वपन लेती अनेक
नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक
नारी तू वंदना व पूजा भी कहलाती
दीप जला कर तू दीप्ति भी बन जाती
कैसे तू दीप की ज्योति बन जाती एक
नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक
तू ही माँ की ममता भी बन जाती
क्रोध आने पर तू क्षमा बन जाती
क्षमा याचना मांगते है तुझसे अनेक
नारी तू है एक पर तेरे नाम है अनेक
जया व पराजय भी तू कहलाती
कभी कभी भावना भी बन जाती
भावना में बह कर लिखते हैअनेक
नारी तू है एक पर नाम है तेरे अनेक
माया ममता महबूबा भी बन जाती
राजनीति के रंग में भी तू रंग जाती
बड़े बड़े नेता भी तेरे आगे माथा देते है टेक
नारी तू है एक पर नाम है तेरे अनेक
(कृपया बतायेगा मैंने कितनी नारियो के नाम लिखे है )
आर के रस्तोगी