नारी तुम श्रद्धा हो
नारी तुम श्रद्धा हो ! तनिक भी मन न विचला तुम्हारा ,
दर्द सर्द, उबर, खाबड़ सहते तुम ,
पग-पग तुम्हारे शूल बिछे तुम पावन पवित्र ,
तुम राधा,तुम सीता, तुम ही तुम ,
जग तेरे करो वंदना ,नारी तुम श्रद्धा हो ।
तुम पर कितना जुर्म ,अत्याचार हुआ,
तुम काली ,तुम शक्ति,तुम दुर्गा हुई ,
तनिक भी मन न विचला तुम्हारा ,तुम श्रद्धा हुई ।
करते न मानव कुछ तुम्हारा समान ,
भूल गए अबोध जन्मा मैं उसी की करता अपमान
नारी तुम माता,तुम बहन, तुम ही तुम हो ,
तुम हो तो जग है ,जग है तो तुम हो ,तुम में ही समाया जग
नारी ! तुम श्रद्धा हो ।।।