Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2023 · 2 min read

नारी जगत आधार….

नारी जगत आधार….

नवरातों में कर रहे, माता का गुणगान।
घर-घर में नारी सहे, कदम-कदम अपमान।।

सहती दारुण दुख अकथ,रहती अविचल मौन ।
नारी-व्यथा अथाह अति, बाँचे उसको कौन।।

नयन मीन सम जल भरे, अधर थिरकता हास ।
देवी त्याग – ममत्व की, जिये विरोधाभास ।।

अपनी सुविधा के लिए, जोड़-तोड़ कर कर्म।
नियम पुरुष ने खुद गढ़े, कहा उन्हें फिर धर्म।।

अपराधों का आँकड़ा, बढ़ जाता हर बार।
नर पर आश्रित नारियाँ, सहने को लाचार।।

जागो जग की नारियों, लो अपने अधिकार।
त्याग तुम्हारा ये पुरूष, बना रहे हथियार।।

जानें समझें बेटियाँ, अपना हर अधिकार।
निज पैरों पर हों खड़ी, कहे न कोई भार।।

रहें सुरक्षित नारियाँ, मिले उन्हें भी मान।।
लक्ष्य यही लेकर चले, मिशन शक्ति अभियान।

वृत्ति आसुरी त्याग दो, बनो मनुष्य महान।
नारी का आदर करो, पाओ खुद भी मान।।

पीछे कहाँ अब नारी, गढ़ती नव प्रतिमान।
बना रही हर क्षेत्र में, नित नूतन पहचान।।

अब नारी के रूप में, हुआ बहुत बदलाव।
हर क्षण आगे बढ़ रही, पाँव नहीं ठहराव।।

नारी बहुत सशक्त है, दीन-हीन मत जान।
सकल सृष्टि की जननी, शक्ति-पुंज महान।।

नारी नर की जननी, नारी जगत- आधार।
ये सृष्टि क्या सृष्टा भी, नारी बिन निरधार।।

नर की यह सहधर्मिणी, क्योंकर सहे अन्याय।
है समान अधिकारिणी, सुलभ इसे हो न्याय।।

चेरी नहीं ये तेरी, गलतफहमी न पाल।
बिगड़ गयी तो सोच ले, क्या कर देगी हाल।।

नारी अब अबला नहीं, करती डटकर वार।
अपने पैरों पर खड़ी, नहीं किसी पर भार।।

पुरुष सदा हावी रहें, चले उन्हीं का राज।
दब रह जाती बीच में, नारी की आवाज।।

नारी जीवन-धारिणी, नारी जग-आधार।
वस्तु समझ उपभोग की, मत कर अत्याचार।।

बिन नारी जीवन नहीं, समझो ए, श्रीमान।
शक्ति स्वरूपा कामिनी, सदा करो सम्मान।।

बस प्रकृति ही एक है, नारी का उपमान।
जननी होकर भी सदा, पाती है अपमान।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 344 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all
You may also like:
शिर्डी के साईं बाबा
शिर्डी के साईं बाबा
Sidhartha Mishra
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
Writer_ermkumar
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है ।।
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है ।।
Kailash singh
*ट्रस्टीशिप विचार: 1982 में प्रकाशित मेरी पुस्तक*
*ट्रस्टीशिप विचार: 1982 में प्रकाशित मेरी पुस्तक*
Ravi Prakash
पके फलों के रूपों को देखें
पके फलों के रूपों को देखें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ओ माँ मेरी लाज रखो
ओ माँ मेरी लाज रखो
Basant Bhagawan Roy
वंसत पंचमी
वंसत पंचमी
Raju Gajbhiye
.........???
.........???
शेखर सिंह
Swami Vivekanand
Swami Vivekanand
Poonam Sharma
■ मन गई राखी, लग गया चूना...😢
■ मन गई राखी, लग गया चूना...😢
*प्रणय प्रभात*
गांधी जी के नाम पर
गांधी जी के नाम पर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बचपन
बचपन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
पश्चाताप का खजाना
पश्चाताप का खजाना
अशोक कुमार ढोरिया
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
gurudeenverma198
मोर
मोर
Manu Vashistha
"सोचो"
Dr. Kishan tandon kranti
धधक रही हृदय में ज्वाला --
धधक रही हृदय में ज्वाला --
Seema Garg
उस
उस"कृष्ण" को आवाज देने की ईक्षा होती है
Atul "Krishn"
सीख गांव की
सीख गांव की
Mangilal 713
!! गुलशन के गुल !!
!! गुलशन के गुल !!
Chunnu Lal Gupta
3261.*पूर्णिका*
3261.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
Neelam Sharma
मीडिया पर व्यंग्य
मीडिया पर व्यंग्य
Mahender Singh
कोरोंना
कोरोंना
Bodhisatva kastooriya
कितना बदल रहे हैं हम
कितना बदल रहे हैं हम
Dr fauzia Naseem shad
मधुर स्मृति
मधुर स्मृति
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
दुनियादारी....
दुनियादारी....
Abhijeet
*खुशियों की सौगात*
*खुशियों की सौगात*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
“उलझे हुये फेसबूक”
“उलझे हुये फेसबूक”
DrLakshman Jha Parimal
Loading...