नारी कोशिशें कभी भी शून्य न होती
पंख काटने से हौसले ध्वस्त नहीं होते
लाख कोशिशों से प्रतिज्ञा निर्बल न होती
हिम्मत है जो आगे बढ़ी जा रही निरंतर
नारी कोशिशें कभी भी शून्य न होती
खूब दबाया पुरुष प्रधान समाज ने
अस्त्र बनाया उसकी शीलता को ही
देख शिखर पर उसको वह कुंठाया
क्योंकि नारी ने खुद स्व वजूद बनाया