नारी के सोलह श्रृंगार
हे नारी ! तुम लगती सबसे प्यारी
जब करती सोलह श्रृंगार
लगती हो किसी राजा की राजकुमारी ॥
आँखों में कजरा , बालों में गज़रा
पैरों में पायल , हाथों में चूड़ी॥
हे नारी ! तुम लगती सबसे प्यारी
जब करती सोलह श्रृंगार
होंठों पर लाली , कानो में बाली
मस्तक पर टीका , माँग में सिंदूर
सिर पर पगड़ी , कमर पर तगड़ी॥
हे नारी ! तुम लगती सबसे प्यारी
जब करती सोलह श्रृंगार
हाथों में मेहँदी , पग में महावर
गले में कंठी , हस्त ऊंगली में अँगूठी
नथ में नथनी , पग में बिछिनी॥
हे नारी ! तुम लगती सबसे प्यारी
जब करती सोलह श्रृंगार
कलाई में कंगना , बाँह में बाजूबंद
नख में रंगभरी , केश में चूरामणि
तन पर उबटन , बदन पर लाल वस्त्र का लिपटन ॥
हे नारी ! तुम लगती सबसे प्यारी
जब करती सोलह श्रृंगार
लगती हो किसी राजा की राजकुमारी॥
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रचियता- 😇 डॉ० वैशाली A. वर्मा✍🏻