नारी के मन की पीड़ा —आर के रस्तोगी
पास रह कर भी तुम,मुझसे दूर क्यों चले जाते हो ?
बिना कसूर बताये मेरा, नाराज क्यों हो जाते हो ?
करती हूँ तुम्हारी पूजा,तुम्हे अपना भगवान समझ कर |
फिर भी किसी के और के मंदिर क्यों चले जाते हो ?
मरती तुम्ही पर जीती तुम्ही पर ख्याल तुम्हारा रहता |
फिर भी किसी दूसरो के ख्यालो में क्यों चले जाते हो ?
लिये है सात फेरे तुम्हारे साथ,तुम्हारे पास ही रहती |
फिर भी दूसरी के साथ तुम घूमने क्यों चले जाते हो ?
उठ रही है मेरी अर्थी अब तुम्हारे ही दर दरवाजे से |
लौट आओ तुम,अपने कभी दूसरो के घर नही जाते ||
आर के रस्तोगी
मो 997100425