नारी की शक्ति
दो संस्कृतियों का मान है नारी ,
पिता की जान तो ससुराल का प्राण है नारी।
दुर्गा, लक्ष्मी का अवतार है नारी,
भारत देश की शान है नारी।
जमी से लेकर आसमा तक ,
प्रत्येक क्षेत्र की अंतर्नाद है नारी।
जिसने त्रिदेवों को पालने झुलाया ,
सावित्री बन सत्यवान के प्राण बचाया।
अकबर की बेगम जोधाबाई बनकर,
मुगलों को प्रभु कृष्ण से साक्षात्कार कराया।
त्रेता युग का दौर जब आया था,
सीता बन क्या कुछ नहीं झेला था।
पति वचन कर शिरोधार्य ,
थी रघुवंशी की बनी ढाल है नारी।
इतिहास गवाह रहेगा सदा ,
वीरांगना लक्ष्मीबाई का ।
धरा से अंतरिक्ष तक कहां नही भेदा,
हमारे देश की आन, मान ,शान, है नारी
अनामिका तिवारी “अन्नपूर्णा”