*नारी की वेदना*
नारी की वेदना
क्यों चौखट से मुझको बांध दिया,
मुझको भी दुनिया देखने दो।
मुझको भी कदम बढ़ाने दो,
मुझको भी शिक्षित होने दो।
मुझको भी बोझ उठाने दो,
कंधे से कंधा मिलने दो।
अनुगामिनी समझो मत,
सहगामिनी बनने दो।।
आभा पाण्डेय
नारी की वेदना
क्यों चौखट से मुझको बांध दिया,
मुझको भी दुनिया देखने दो।
मुझको भी कदम बढ़ाने दो,
मुझको भी शिक्षित होने दो।
मुझको भी बोझ उठाने दो,
कंधे से कंधा मिलने दो।
अनुगामिनी समझो मत,
सहगामिनी बनने दो।।
आभा पाण्डेय