” नारी का दुख भरा जीवन “
पुर्व काल हो या आधुनिक काल, नारी का श्रापित जीवन
गर्भ में बेटा या बेटी, पहले से जांच कराई जाती रहीं
है कोख में लड़की जान, भ्रूणहत्या ही परिणाम आती है।
कोख में मार दी जाति है बेटियां।
बेटी जो नन्हीं कली-सी, प्रेम जाल- बलात्कार ,
बाल विवाह का शोषण झेलती रही ।
जाने कितनी कुप्रथायें, नारी जीवनभर से सहती रहती है। दुनिया भर के ताने सुनती हैं। घुट -घुट कर जीवन जी रही बेटी- बहु !
अपनों से दर्द छुपा, जग में कैसे रहती हैं नारिया ,
मां बन कर जीवन देती नारी, बहन बन कर दुलार लुटाती है,
बन जीवन संगिनी , हर रूप में कर्तव्य निभाती है।
कलयुग में आज नारी जीवन है हर दिन श्रापित !
दहेज के लिए मारी जाती रही हैं नारी,
दहेज लोभियों को सरेआम हथकड़ी लगाना होगा
संसार से यह कलंक मिटाना होगा,
नारी की रक्षा का भार शासन को उठाना ही होगा !
बनो जागरूक और बताओ सभी को तुम नारी
कहते हैं जो अबला तुम्हे ,उन्हें अपनी साहस दिखाओ तुम।
तुम ना होती तो कैसे होता संसार,
शिष्टी का आधार हो तुम नारी !!