नारी:- एक शक्ति
है भाषा प्रेम की जैसे कहो अनुरक्ति है नारी,
है पूजा अर्चना मन में किसी की भक्ति है नारी।
बिना नारी के कैसे विश्व की कल्पना बोलो,
मेरे इस देश की जैसे समूची शक्ति है नारी।।
है ममता और सच्चे प्रेम का परिवेश है नारी,
दिया जो स्वयम भगवान ने सन्देश है नारी।।
ये बरगद के सरीखी सबको देती छांव रहती है,
नहीं है एक गांव बल्कि ये समूचा देश है नारी।।
विधाता ने स्वयं से जो किया को न्याय है नारी,
ये अद्भुत कृति उन्हीं की प्रीति का पर्याय है नारी।
नहीं नारी तो जीवन ये अँधेरे से भरा होगा,
पढ़े जो उम्र भर ऐसा वृहद अध्याय है नारी।।
©अनन्या राय पराशर