नारी उत्थान कौन करेगा.
जग जननी नारी बनी, नतमस्तक भगवान !
बिन नारी जीवन नहीं, करबद्ध कर सम्मान !!
सदियों से जो न हो पाया,
पूर्ण वो काम कौन करेगा,
नारी जबतक खुद न जागे,
नारी उत्थान कौन करेगा.!!
पुरुषत्व अहंकारी सदा रहा,
हावी होना बंद कब करेगा,
नारी खुद जब तक न जागे,
पाप घड़ा पुरुष का न भरेगा .!!
जिसके उदर से जन्म लिया,
मनु शैतानों सा प्रहार करेगा,
जब तक नारी खुद न जागे,
कौन उसका संहार करेगा..!!
हर युग मे नारी ने जो झेला,
वो तिरस्कार घाव कैसे भरेगा,
जब तक न जागे सीता द्रोपदी,
ज़ालिम पुरुषत्व दंभ भरेगा..!!
नारी जब तक खुद न जागेगी,
नारी उत्थान भला कौन करेगा,
जिसको खुद का भान नहीं है,
वो मनुज क्या तेरा मान करेगा ..!!
मात, बहिन, भार्या, सुता , नातों सहती भार !
कोटि कोटि तुम्हें नमन, सकल जगत की नार !!
डी के निवातिया