नारी अस्मिता
मन उपवन की नन्ही कली ,
जो घर आंगन में पली-बढ़ी ,
फूल से चेहरे पर खिली उसकी मुस्कान ,
माता पिता, बंधु बांधव , मित्रों की जान ,
सदा निस्वार्थ सेवा , सहायता को तत्पर ,
सरल ,सहृदय , समभाव से अग्रसर ,
व्यवहारिकता , बुद्धिमता , प्रज्ञा शक्ति की खान ,
बड़े बूढ़ों का सत्कार कर रखे उनका मान ,
कभी रूठती तो लगता ईश्वर रूठ गए ,
कभी हंसती तो लगता फूल झर रहे ,
मधुर मोहनी , चपल षोडशी , चंचल चितवन ,
अपनी मधुर वाणी गान से मोहती सबका मन ,
आत्मविश्वास , साहस , एवं धैर्य की प्रतिमूर्ति ,
दृढ़ संकल्प ,त्याग , एवं संघर्ष की नारी शक्ति ,
क्योंकर बनी उपेक्षित अधिकार विहीन
पुरुष प्रधान जगत में ?
क्योंकर बाध्य हुई सुलह करने अपने
रिश्तो के हक में ?
जब तक ये समाज नारी के प्रति अपनी
सोच ना बदल पाएगा ,
तब तक नारी को उसके न्यायोचित अधिकार से वंचित रखा जाएगा।