नारीत्व
पिता से डरती बेटियों ने राजकुमारों के ख्वाब देखें
जो उन्हें प्यार करेंगे
ख्वाबों के राजकुमार आएं
और बेटियों को पत्नी बनाकर ले गएं।
पति बन गए राजकुमारों से डरती पत्नियों ने
आज्ञाकारी बेटों के ख्वाब देखें
बेटे बड़े हुए और
पिता पति के परम्परा के बने।
बेटी पत्नी से मन तक के सफर कर चूकिं औरतें
अब कोई ख्वाब नहीं देखती
अपना दुःख अब बेटियों को सुनाती हैं
और मरने का इंतज़ार करती हैं।
पर सभी औरतों का अंत
एक जैसा कभी नही होता
कुछ औरतो ने पहला ख्वाब टूटने के बाद
उड़ान भरी
और कुछ ने दूसरा टूटने के बाद!
पारम्परिक ख्वाबों से मुक्त होते औरतों की
उड़ान देख,
ढेर सारी औरतों ने अपने ख्वाब बदल दिए
और सर के बल खड़ी कर दी गई दुनिया
फिर से,
अपने पैरों पर खड़ी होने लगी!
🔹मुकेश सहवाग