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11 Jun 2023 · 1 min read

नारायणी

जीवन की भगदड़ में, कुछ पल, जी लेती है वो ।

फिसलते लम्हों को भी,किसी तरह सम्भाल लेती है वो।।

घड़ी की रफ्तार से कुछ क्षण चुराकर, मुस्कुरा देती है वो ।

अपनी मुस्कुराहट से भोर का भी अभिनंदन करती है वो।।

प्रभा से पूर्व, सूर्योदय उपरांत, हर घर को प्रकाशित रखती है वो ।

आ जाऐं कठिन राहें अगर, हौसले बुलंद रख खुद के, प्रेरित सभी को करती है वो।।

सुबह से सांझ, दिनभर में न जाने कितने रुप बदलती है वो ।

कभी ममता का आंचल फैलाए माँ, तो कभी लाडली बिटिया बनती है, वो।।

हर पल खिलखिलाती सखी , तो कभी झुंझलाती बहन है वो ।

कभी शिक्षिका, कभी उपचारिका, अन्नपूर्णा, कात्यायिनी, अर्धांगिनी बन जाती है वो।।

सहस्र रुपों में समाकर, जीवन के हर पल , हर क्षण, हर लम्हा जी लेती है वो।

और कोई नहीं, बस नारी के रुप में नारायणी है वो।।

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