– नायाब इश्क –
– नायाब इश्क –
मेने तुझे अपना माना,
अपना बनाने की रखी थी मन में चाह,
दिल से तुझे ही चाहा मेने,
धडकनों में मेरी बसाया तुम्हे,
सांसों की तरह हर पल याद में रखा तुम्हे,
भूलने का कभी नही ख्याल रखा हमने,
तेरे नाम को मेरे नाम के साथ जोड़ा मेने,
तेरे आशिक के नाम से दुनिया में बदनामी झेली हमने,
बदनामी के साथ सारे शहर तेरी गली में मशहुरियत पाई मेने,
पर एक दिन हमे मालूम हुआ वो सब था हमारा नायाब इश्क ,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान