नायक कैसा हो? (छंदमुक्त काव्य )
नायक जिसका जीवन , हर कर्म ऐसा हो,
दूसरों के लिए जीने का वह उदाहरण हो।
उसका व्यवहार दूसरों को अपनी तरफ,
सदैव आकर्षित करने वाला चुंबकीय हो।
उसकी वाणी स्पष्ट व मीठास परिपूर्ण,
झूठ फरेब से परे, सत्यवादी आत्मग्राही हो।
कर्तव्यनिष्ठा नायक में कूट-कूट कर भरी हो,
देश अपना परिवार हो ,कर्म कर्तव्य पूरित हों।
कुशल नेता,अथक देशहित प्रयास हों,
देश के लिए जी – जान भी कुर्बान हो।
दावपेच से ऊपर समाज का संरक्षक हो,
समभाव व्यवहार हर जीव का रक्षक हो।
अपने पेट से पहले, गरीब का पेट भरने वाला,
गरीबी रेखा से ऊपर उठाने का जिसमे दम हो।
पैसे वाले का सेवक नहीं, पूरे देश का सेवक बने,
सशक्त चौकसी हर दिशा में देश की करे।
आम आदमी या दुष्ट की, बात सुन सात्विक भाव सुनवाई करे,
देश हित सदैव कदम नित आगे ही आगे बढ़े।
नायक इंसान है, अपनी क्षमता का परिचय दे,
जनता में अपने प्रति श्रद्धा विश्वास पैदा करे।
असंभव वादों का सहारा न ले, सत्कर्म करे,
सत्य की राह चल देश सेवा सर्वोपरि धरे।
अनुशासित, विवेकशील ,ज्ञानी ,विज्ञानी,
संस्कारी , स्फुट वक्ता, पर छलकपट से दूर रहे।
नायक ऐसा हो जिसके चर्चे देश विदेश हर जगह हों,
हर मिलने वाला उनसे मिलकर स्वयं भी गर्वित हो।
बात अगर देश की हो , नायक सबसे ऊपर देश को ले जाए,
विश्व में अपने देश की ख्याति का परचम फहराये।
माना वह इंसान है, पर जनता का विश्वास पात्र हो,
भगवान सा तो नहीं पर सर्वश्रेष्ठ जग में सम्मानित हो।
जन जन का उसमे व उसकी सरकार में विश्वास हो,
जनता का हर क्षेत्र में सहयोग तरक्की का आधार हो।
नीरजा शर्मा